आसमान | Aasman kavita
“आसमान”
( Aasman : Hindi poem )
( Aasman : Hindi poem )
हिन्दी की बात ( Hindi ki Baat ) कहने कोहम हिन्दी को बहुत मानते हैंऔर बच्चों का प्रवेशअंग्रेजी माध्यम में करवाते हैं।ओ! दोहरी मानसिकता के लोग,मातृभाषा से दूर रहकरबच्चे का विकास होगा क्या?मातृभाषा तो सहज हीहर शिशु सीख लेता है,तो हम उस बस्ते के बोझ के साथक्यों अंग्रेजी का बोझ डालें?हिन्दी को जीवन काक्यों ना…
पसीना ( Paseena ) चाहे हो ऋतुराज अथवा सरस सावन का महीना। रक्त जलता है तब बनता है पसीना ।। स्वेद रस में सनके ही रोटी बनी है। ये भवन अट्टालिका चोटी बनी है। वो कुटज में रहता है थक-हार कर। खाली पेट सो गया मन मार कर। रिक्शे की पहिये से पूछो कितना…
मतदान करो ( Matdan Karo ) कन्यादान को हि कहा गया दान सर्वोच्च किंतु, समय की बदलती धारा में अब, मत दान हि है उच्च करना है यह पुण्य कर्म सभी को अत्यावश्यक् है यह धर्म सभी को इसमें नही भेद भाव उच नीच का समझना है भविष्य का मर्म सभी को एक वोट…
1 प्रवाह ——- सोचता हूं कि दुनिया की सारी बारूद मिट्टी बन जाये और मैं मिट्टी के गमलों में बीज रोप दूं विष उगलती मशीनगनों को प्रेम की विरासत सौप दूं . पर जमीन का कोई टुकड़ा अब सुरक्षित नहीं लगता . कि मैं सूनी सरहद पे निहत्था खड़ा अपने चश्मे से, धूल -जमी मिट्टी…
समझ मे क्यों नही आया ( Samajh mein kyon nahi aaya ) जितना भी मांगा था रब से, उससे ही ज्यादा ही पाया। मन पागल ना शुक्ररा निकला, जब देखा रोता ही पाया। प्रेमिका माँगी पत्नी दे दी, एक नही दो दो से मिला दी। जो मांगा वो सबकुछ दे दी, पर मन को…
हम क्या जिंदगी में करे अब हम क्या जिंदगी में करे अब हाँ बेरोजगारी हुऐ अब लूटा अपनों ने सब कुछ मेरा कहां जाकर के हम रहे अब बातें अपनों की मानी मैंनें अपने फ़ैसले ही किये अब वरना सब्र करते थे दिल में देखो दुश्मनों से लड़े अब …