कागा की कविताएं

अपनों से जुदाई | Apno se Judai

भाग-1

मोर मेह वन कुंजर आम रस सूआं
जन्म भूमि कुवचन बिसरे मूंआं

मेरा जन्म एक जनवरी 1946 को आज़ादी से एक वर्ष पूर्व बरस़ग़ीर भारत में हुआ मेरे पिता स्व,श्री रामचंद्र कागा के घर माता श्री,स्व, श्रीमति सांझी देवी कागा की कोख से गांव भाडासिंधा तह़स़ील छाछरो ज़िला थरपारकर सिंध में हुआ मेरा बच्चपन मेरी प्राथमिक शिक्षा मेरे गांव में हुई सन् 1961 में सिंधी वर्निक्यूलर फ़ाइनल स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट परीक्षा क़ेंद्र मिठ्ठी से उत्तीर्ण की मेरे परिवार में सबसे बड़ी संतान था मेरा एक भाई राणा राय चार बहिनें क्रमश: बारी मेघू ह़ुरमी ढेली नामों से थी जो अभी पांचों भाई सहित दुनिया छोड़ चुके है !

सन् 1971 को माह दिसम्बर के आंतिम सप्ताह में हिंद पाक की लड़ाई हुई फलस्वरुप भारत की फ़ोन मेरे गांव से लगभग 50 किलोमीटर आगे सीमा पार कर चली गई छाछरो फ़तह़ हो गया वहां अस्थाई भिरतीय प्रशासन क़ायम हुआ जिसमें अहम योगदान स्व, श्री लक्ष्मणसिंह सोढा पाकिस्तान में पूर्व मंत्री विधायक सांसद एंव स्व, बलवंतसिंह चौहान बाखासर कर्नल महाराजा श्री भवानीसिंह जयपुर ब्रगेडियर श्री हनुवंतसिंह जसोल का अहम रहा!

यह जंग का भयावह मंज़िर की चश्मदीद मेरी दोनों गवाह है श्री लक्ष्मणसिंह सोढा छाछरो आये जो जंग से पहले अपने परिवार सहित भारत पलायन कर आ चुके थे छाछरो में उनकी कोटड़ी पर हिंदू बिरादरी की एक विशाल बेठक हुई जिसमें सर्व सम्मति से फ़ेस़ला हुआ कि अब सब लोगों को भारत चलना चाहिये सबने अपने बिस्तर बोरिया बांध अपनी पुश्तेनी जागीर ज़माना जायदाद जंगल खेत खलियान सीमाड़ा घर झोंपड़े मह़ल माड़यों को अलविदा कर आनन-फ़ानन में विस्थापित हो गये!

उस समय मेरी महज़ सगाई हुई थी शादी नहीं जो बाद में 21 मई 1972 को श्री भीखाराम खोखर की पुत्री मिश्री देवी से सम्पन्न हुई मेरे परिवार ने पहला क़दम गांव शोभाला जेतमाल तह़स़ील चौहटन में रखा ऊपर अ़र्श की उम्र नीचे धोरा धरती का फ़र्श खुले में था मेरे माता पिता दोंनों 1965 में एक साथ छह माह के दरम्यान हमें छोड़ जा चुके थे तबसे परिवार का दायत्व मेरे पर था बिना वालदीन क्या बीती वो मेरा मिस्कीन दिल भलीभांति जानता है!

ठोर ठिकाना की खोज में गांव अभे का पार छहो की तलाई पाक सीमा पर गडरा रोड़ शरणार्थी शिविर महाबार चौहटन में भटकते रहे मैं 1972 में शरणार्थी शिविर साजीतड़ा में अध्यापक चौहटन में अध्यापक कम्पाऊंडर कनिष्ट लिपिक वरिष्ट लिपिक पद पर रहा!

भाग-2

मेरी सगाई गांव मके का पार मडूआ पाड़ा तह़स़ील छाछरो सिंध में हुई ओर शादी भारत अधिकृत गांव इब्राहिम का तला पाक सीमा पर हुई मेरी बारात ऊंटों पर गांव अभे का पार से रवाना हुई ।

मेरा शादी का जशन अस्थाई फोग आक की त्राटी बूह खीप सिणिया से बनी झुग्गी में हुआ ढोल ढमाका नहीं साधारण महिलाओं के द्वारा मंगल संगीत गायन से हुआ जो यादगार लम्हा है विस्थापन वन अवस्था में नींतरा स़िर्फ़ रूपये 99 मात्र संग्रह हुआ ।

जबकि मेरे सहोदर छोटे भाई ने अपनी जेब से दो रुपये जोड़ 101 का शुभ सगुन किया उनके कथन-अनुसार उनकी भविष्य वाणी मेरा भाई का दाम्पत्य जीवन, सुखी सम्पन्न होगा मेरी बारात वापिस लोट अभे का पार आई ओर एक सप्ताह में छहो की तलाई गडरा रोड़ जा बसे!

तत्कालीन सरकार ने शिमला समझोते के तह़त जीता पाक का ह़िस़्सा वापिस पाक को देना त़य्य किया जिसका विरोद्ध प्रतिपक्षी नेताओं ने किया जिसकी अगवानी श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कि उनमें ग्वालियार महारानी विजयराज सिंधिया श्री लाल कृष्ण आड़वाणी भैरोसिंह शेखावत जगदीश प्रसाद माथुर प्रमुख थे उस आंदोलन में मुझे ओर श्री ओम प्रकाश बाहेती को भी सौभाग्य प्राप्त हुआ जो पैदल मार्च पाक सीमा छहे की तलाई तक जत्थे में किया जहां पाक सीमा पार करते समूह को प्रशासन ने ह़िरास्त में लेकर बाद में रिहा कर दिया!

शिमला समझोते के अधीन जो लोग वापिस लोट अपने घरों में जाने को स्वतंतर थे परिणाम स्वरूप पाक सरकार ने राणा चंद्रसिंह सोढ़ा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल पीर जीलानी वसाण सहित अन्य लीडर भेजे पुनर्वास जान माल की ह़िफ़ाज़त का भरोसा दिलाया अधिकांश लोग वापिस चले गये ।

हम लोगों ने अडिग निर्णय किया वापिस नहीं जाना चौहटन में उग्र आंदोलन किया हमारा नारा था” लाठी गोली खायेंगे वापिस नहीं जायेंगें आधी रोटी खायेंगे वापिस नहीं जायेंगे”जंग हमारी जारी रहेगी आदि सरकार चुकी बाड़मेर चौहटन आलमसर धनाऊ साता बाखासर मिठे कि तला स्वरुप का तला मिठड़ाऊ शोभाला जेत वींजासर बिजराड़ गडरा रोड गिराब तुड़बी हरसाणी महाबार बिशाला बालेबा नीम्बला साजीतड़ा बरियाड़ा पुष्ड़ आदि शरणार्थी शिविर खोले गये!

हमारी मांगें शिक्षा चिकित्सा खान पान की थीके अनुसार अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी सहायता के तह़त प्रत्येक परिवार को एक तम्बू बड़े छोटे सदस्य परिवार इकाई मान अन्नाज में गेहूं घटिया स्तर का लाल सड़ी गली ज्वार चन्ना दाल चीनी कम्बल दी गई जो पर्याप्त थी ।

शिविरों में क़ैदी जैसा जीवन बसर किया अवांछित गतिविधियों पर निगरानी हेतू आर ए सी के जवान कमांडेंट के नेतृत्व में तेयनात किये गये शादी ग़मी में अन्यत्र जाने के लिये स्वीकृत अवकाश उपरांत जाना होता था जिसके लिए शिविर प्रभारी अधिकृत था हर शिविर में उप केंद्र स्कूल खोले गये मेरी प्रथम नियुक्ति बत़ौर अध्यापक पद पर शरणार्थी शिविर साजीतड़ा में हुई जो 1975 तक रही बाद में चौहटन आ गया!

भाग-3

मेरा पदस्थापन शरणार्थी शिविर चौहटन में अध्यापक पर पर रहा हमारा स्टाफ़ श्री उत्तमचंद ओझा प्रधानाध्यापक के मातह़त क्रमश: श्री ओमप्रकाश रेगस्तानी श्री चंदनलालाल मथराणी श्री देवदत्त छांगाणी श्रीमति बस्ती देवी बा़कलसर में दो तम्बू ओर जाल के पैड़ के नीचे काया पर संचालित था।

वहां पर सरकार का स्टाफ़ भी था जो सहायता वितर्ण का कार्य करता था गाहे बगाहे हमारे सहयोग की दरकार होती थी सरकार ने पाक विस्थापित लोगों के परिचय पत्र बनाने का निर्णय किया हम लोगों ने बढ़ चढ़ सहयोग प्रदान किया।

आपातकाल के दरम्यान कड़ी निगरानी रखी गई आम चुनाव हुए जिसमें श्री तनसिंह जी निर्वाचित हुए आपातकाल में जबरन विस्थापित लोगों की नसबंदी की गई एसे हंगामी ह़ालात में काफ़ी लोग भयभीत होकर चोरी छुपी पाक चले गये!

प्रत्येक परिवार का पंजीकरण हुआ जाति की पेहचान भी ज़रूरी था जो सरकारी स्थानिय स्टाफ़ था वो मेघवाल जाति को भांभी लिखने लगा ओर छोटा नाम लिखना शुरू किया ।

जिसका हमने विरोध किया ओर स्कूलों के प्रमाण पत्र नौकरियों में उल्लेखित स़बूत पेश कर नाम के पीछे दास मल चंद नंद आदि लिखा गया हमारे साथ शिक्षक लोग 30 पोलिस पटवारी डाक्टर कम्पाउडर अन्य प्राईवेट भी भारी संख्या में शिक्षित लोग थे अधिकाश को समियोजित किया गया कुछ लोग वकील भी थे!

श्री लक्ष्मणसिंह सोढा छाछरो पूर्व मंत्री की अध्यक्षता में शरणार्थी संघ का गठन हुआ जिसमें श्री सतीदानसिंह सोचा पीर श्री रणछोड़सि़ह सोढा श्री नाथूसिंह रावणा राजपुत उपाध्याय श्री जगमालसिंह दोहट एंव तरूण राय कागा (तोकल) महामंत्री समस्त सरपंच साहब बीडी मेम्बर जो सिंध में निर्वाचित थे।

कार्यकारिणी के सदस्य जिसमें मेघवाल समाज से श्री पंजूमल गंढेर थे जो बड़े बड़बोल बेबाक हा़ज़िर जवाब इंसान थे श्री रामनिवास मिर्धा क़ेंद्रीय मंत्री एंव श्री परसराम मदेरणा मंत्री राजस्थान सरकार को दो टूक कह दिया की हम दो गज़ ज़मीन ले लेंगे चूंकि नेताओं ने ज़मीन देने का मना कर दिया था!

शरणार्थी संघ ने बड़ी सूझ बूझ शालीन त़ोर त़रीक़े से संघर्ष किया एमरजेंसी के बाद जनता पार्टी की सरकार आने के बाद क़ेंद्र में हमारे पैरोकार श्री अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री श्री लाल कृष्ण आड़वाणी सूचना प्रसारण मंत्री श्री भानुकुमार शास्त्री सांसद जगदीश प्रसाद माथुर सुंदरसिंह भंडारी श्री राम जेठमलाणी श्री भैरोंसिंह शेखावत मुख्य मंत्री राजस्थान सरकार श्री भंवरलाल शर्मा श्री सम्पराम पुनर्वास मंत्री ने प्रत्यक्षण सहयोग प्रदान किया!

1978 ,79 में भारतीय नागरिकता की जंग में हम लोग सफल हुऐ हमें पाक में छोड़ी सम्पति का मुआवज़ा नहीं मिला लेकिन भारत में ज़िला श्री गंगानगर नहर पर एक सिंचित मुरब्बा बाड़मेर में चोहटन बाड़मेर तह़स़ीलों में बारानी 50 बीघा तह़स़ील शिव में 75 बीघा भूमि देने पर सहमति बनी परिणाम स्वरूप 15 मेघवाल समाज परिवार सहित 300 परिवारों को घड़साना छतरगढ विजयनगर अनूपगढ में आवंटन हुआ!

भाग-4

शरणार्थी समाज का सारा निज़ाम ज़िला प्रशासन बाड़मेर के अधीन था जो ज़िलाधीश ने श्री थानसिंह जाटव एडीएम को अधिकृत कर रखा था जो बड़े जूझारू मेह़नती थी हर समस्या का समाधान चुटकियों में कर देते थे उसके बाद श्री आर के त्रपाठी भी दर्दमंद थे ज़िला कलेक्टर श्री ईश्वरचंद श्री वास्तव, श्री आदर्श किशोर सकसेना रहे जो बड़े नेक आदमी थे।

जबतक छाछरो पर भारत का क़ब्ज़ा रहा श्री केलाशदान उज्जवल आई ए एस पाक विस्थापित वर्ग के लिये देवदूत बन बार्डर कमिश्नर के पद पर रहे हर सुख दुख में सार सम्भाल करते रहे पाक विस्थापित शिविरों में जो पाठशाला खोले गये।

उसमें योग्यताधारी को अध्यापक लगाये गये मैंने शरणार्थी शिविर साजीतड़ा शिव में दिनांक 16 सितम्बर 1972 को कार्यग्रहण किया जहां पर पाठ से आये सादूल सोढा दो आ पाबूवेरो पीर होगा कालूंझरी चारनोर पीर का तला भाडी के राजपुरोहित थे।

स्कूल सहित सरकारी स्टाफ़ आम जन खुले मेदान में तम्बूओं में आकर बसे यह ह़ालात ज़िले भर हर जगह समान थे हर रोज़ डोर टू डोर ह़ाज़री होती थी नज़रबंदी का जीवन बसर किया 1976 के लगभग परिवर्तन आया पुनर्वास अलग अस्तीत्व में आया ।

जिसके तहत जिला स्तर पर आई पग एस केम्प कमांडेंट पदस्थापित हुए जिस में श्री जोधसिंह दी बड़े नेक रहम दिल इंसान थे प्रति दिन प्रत्येक शिविरों का भरमण कर ज़दीकी से समस्यायें जानी ओर समाधान का भरोसा दिलाया।

पहली मर्तबा मेघवाल समाज को नागोर ले जाकर खादी ग्रमोधोग की सुविधाऐं उपलब्ध कर बसाने की बात कही ओर भ्रमण कराया मेरे नेतृत्व मे़ श्री पंजूमल गंढेर आलमसर श्री महेंद्रोमल जयपाल चौहटन श्री छुगोमल जयपाल श्री अलूमल पंवार चौहटन श्री फतूमल जोगू महाबार जत्थे में शामिल रहे सरकारी व्यवस्था थी।

लेकिन स्थानिय लोगों से बात चीत राय मश़रे के बाद योजना रास नहीं आई चंद दिनों के बाद श्री तेजसिंह आई पी एस बतौर कैम्प कमांडेट तैनात हुए बड़े सख़्त ख़ूंख्वार मिज़ाज के धन्नी थी किसी से मिलना जुलना मना कर रखा था स़िर्फ़ संघ के पदाधिकारियों को अनुमति थी !

जिस परिवार में शादी मौत जन्म हाज़री के दौरान अनुपस्थति में नाम जोड़ना जिला स्तर सक्ष्म था प्रत्येक का बाड़मेर आना जाना दुश्वार था नतीजन शिविर प्रभारी की अनुशंसा पर जोड़ा काटा जाता था जो संघ के प्रतिनिधि आसानी से करवाते थे!

भाग-5

सन् 1978 में पाक विस्थापित लोगों की प्रतीक्षा की घड़ियां समाप्त हुई भारतीय नागरिकता का फ़ेस़ला हुआ हर बंदा ख़ुशी से झूम उठा चेहरे पर रौनक़ परस्पर बधाई जेसे नया जन्म मिला हो सुन्हरे पल आज भी संजोऐ रखे है मेरी भी ड्यूटी इस पुनीत कार्य में लगी ज़िला कलेक्टर श्री उम्रदराज़ आर ए एस एडीम को अधिकृत किया मुझे दिनांक 23 जून 1978 को भारतीय नागरिक्ता मिली!

मेरा सौभाग्य है कि बाड़मेर में आवंटन में मेरी अहम भूमिका रही तथा राजस्थान नहर परियोजना में आंवटन समिति का सदस्य भी रहा मेरे साथ श्री सतीदानसिंह सोढ़ा पूर्व थानेदार रहे जो पाक विस्थापित वर्ग के प्रतिनिधि की ह़ेस़ियत से इस दरम्यान एक अहम निर्णय हुआ जो पूर्व में आंवटित भूमि ज़िला श्री गंगानगर नहर की निरस्त हो गई उस समय भारत के प्रधान मंत्री चौधरी श्री चरणसिंह थे।

चूंकि हिमाचल प्रदेश की सरकार ने आपति जताई कि यह आंवटित भूमि पौंग बांध विस्थापित लोगों के लिये आरक्षित थी दोबारा श्री लक्ष्मणसिंह सोढा के नेतृत्व में भारत सरकार से गुहार लगाई फलस्वरूप इंद्रा गांधी नहर परियोजना के दूसरे चरण में पूगल बज्जू कोलायत उपनिवेश तह़स़ीलों में भूमि आंवटन के आदेश हुए ।

दो टोली का गठन हुआ जिसमें मेरे साथ श्री पंजूमल गंढेर लाडूराम कोडेचा महेंद्रोमल जयपाल अलूमल पंवार ओर श्री सतीदानसिंह सोढ़ा के नेतृत्व में अन्य स्वर्ण वर्ण के लोग शामिल थे ।

हम लोगों ने पूगल में अडूरी वितरिका पर डेली तलाई की अनुसूचित जाति के लिये चक्क सं, क्रमश: 1 2 4 6 7 8 एडी ओर 1 डीओ 2 डीओ आरक्षित कराये जो बाद में कमेटी द्वारा आवंटन हुआ उस समय श्री तेजसिंह जी का तबादला हो चुका था ।

श्री नवीन शर्मा ओर आर एस चौहान कैम्प कमांडेंट थे बारानी आवंटन हमारी अहम भूमिका रही बीच में काफी अफ़रा तफ़री का माहोल बना रहा हमने जिला जालोर भीनमाल में जूझारानी जोड़ आदि के भी विकल्प दिये बदक़़स्यती यह थी कि मेघवाल लोग बीकानेर चलने को तैयार नहीं थे का आवंटन गांव जींझनियाली जैसलमेर में जबरन हुआ ।

जहां पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं था तब मजबूर होकर स्वीकृति ली कुछ लोगों को शिव तह़स़ील के क्षेत्र गांव द्राभा रोहड़ी पांचला बोही ढगारी मोडरड़ी में आवंटन हुआ जो आज तक विवादग्रस्त है ओर कुछ की डी एन पी की वजह से लोग वंचित है!

मैंने अपना जीवन समाज सेवा में समर्पित भाव से अपना कर्तव्य निभाते हुए अब तक सेवा कर रहा हूं! अब भारत सरकार ने शरणार्थी शिविर समाप्त कर दिये ओर स्थाई निवास के लिये वांछित स्थान पर जाने की सख़ती बरती की पालना में आहिस्ता आहिस्ता लोग बीकानेर के लिये प्रस्थान कर चले गये जो आज सुखी सम्पन्न ख़ुश है!

अपनी जन्म भूमि छोड़ने के बाद दर-दर की ठोकरें खाई कभी हिम्मत नही हारी समस्याओें का सामना कर सफ़लता प्राप्त की राजनीति क्षेत्र में 1981-82में श्री लक्ष्मणसिंह सोढा पंचायत समिति चौहटन का प्रथम पाक विस्थापित प्रधान निर्वाचित हुए तथा 1995 में मेरी धर्म पत्नी श्रीमति मिश्री देवी कागा पंचायत समिति चौहटन की प्रथम मेघवाल समाज की ओर महिला प्रधान निर्वाचित हुई ओर मैं स्वंय 2013 को प्रथम पाक विस्थापित विधायक चौहटन निर्वाचित हुआ!

भाग – 6

डा,तरूण राय कागा के परिवार में राजनीति क्षेत्र में कुल 9 चुनाव लड़े गये पंचायती राज चुनाव में 5 जिसमें वार्ड पंच 1 पंचायत समिति सदस्य 3 प्रधान 1विधान सभा 4 भारतीय नागरिक बनने के बाद सिलसिला जारी रहा!

कागा 1971के पाक विस्थापित लोगों में इकलोता बंदा था जो पहला भारतीय पासपोर्ट वीज़ा से पाकिस्तान वाघा अटारी सरह़द से अपने गांव भाडासिंधा गया जहां मेरा छोटे भाई श्री राणा राय का स्वर्गवास हो चुका था ओर परिवार में तीन बहिनें क्रमश: मेघू हुरमी ढेली अकेली थी ।

मेघू की शादी हो चुकी थी दो कंवारी थी मैं वहां दो माह 1980 में जनवरी फ़रवरी रहकर उनके पासपोर्ट वीज़ा लेकर साथ वाघा अटारी रास्ते लोट आया पीछे मेरे दादा परिवार में बड़े ताऊ श्री मूलोमल सोनोमल के पुत्र हीरोमल सच्चूमल काहूमल हालोमल आईदानमल तथा चाचा श्री भलूमल ओर उनके पुत्र नारायण दास कृपालदास को रोते बिलखते को छोड़ कर चला आया।

मेरे दिल में भाई के चले जाने का दर्द मामा ननिहाल सगे सम्बंधियों का बिछोड़ा दिल को चोटल कर रहा था लेकिन विधि का विधान क़िस्मत में बिछोड़ा सहन से मजबूर था मैं मेरे पीछे मेरी धर्म पत्नी श्रीमती मिश्री देवी पुत्री वीणा जयंती पुत्र ललित को छोड़ गया था जिसकी चिंता भी आत्मा को जंझोड़ रही थी दूर भाष की कोई सुविधा नहीं थी दो माह तक सम्पर्क कटा रहा!

मुझे पाक सीमा में इमीग्रेशन के समय अनहोनी समस्या का क़ानूनी सामना करना पड़ा चूंकि मेरी रवानगी भारतीय नागरिक होने से पेहले हो गई ओर दोनों बहिनों की अटक गयी आक्षेप था कि नेशनल बैंक कराची से बांड जारी होना था रोक दी गई !

काफ़ी मशकत नेज़ारी के बाद अनुमति मिली ओर मैं अपनी बहिनों को साथ लेकर अमृतसर वाया दिल्ली जोधपूर चौहटन घर पहुंचा सफ़र बेह़द कठिन मुश्किल जोखम भरा था आने के बाद दोनों बहिनों की शादियां बड़े धाम धूम से की गई बहिन हुरमी की शादी श्री बच्चूराम पन्नू गडरारोड के पुत्र श्री पूनमारगम एंव ढेली की शादी श्री भीखाराम खोखर के पुत्र श्री गागनराम (मेरे सालाजी) से सम्पन हुई!

मेरे गांव के पीढ़ी दर पीढ़ी साथ रहे परिवार जिनको गांव रमज़ान की गफ़न में आवंटन हुई जो धोरा वाली ऊबड़ खाबड होने के कारण उनका तबादला आवंटन चक्क 2 एडी में कराया मेरा भी आवंटन साथ था लेकिन आंशिक असिंचित होने से मैंने अपना तबादला आवंटन चक्क 2 एमडी (मंडाऊ) उपनिवेशन तह़स़ील श्री मोहन गढ़ ज़िला जैसलमेर में करा दिया जो पूरा मुरब्बा सिंचित है!

मेरे परिवार में दो पुत्री वीणा जयंती ओर दो पुत्र श्री ललित राय ओर युवराज है दोनों पुत्रियां अध्यापक पद पर कार्यरत है जबकि ललित घर कार्य ओर काश्तकार है छोटा पुत्र वर्तमान में प्रिंसिपल स्वामी विवेकानंद माडल स्कूल चौहटन में पदस्थापित है मेरा निवास महावीर नगर चौहटन ज़िला बाड़मेर राजस्थान है!

भाग 7

जुदाई के ज़ख़्म हरे है भरे नहीं
निशां बाक़ी बचे हरे है भरे नहीं
चाल चेहरे ह़ुलिया ह़ाल हस्ती बदल चुके
माह़ोल मुखड़े मुरझाये हरे है भरे नहीं
ख़ून का रिश्ता ख़ामोश मिलने पर मचला
फफक उठा फुहार हरे है भरे नहीं
दिल रोता है सुबक दुबक कर बिचारा
बिलख कर बेबस हरे है भरे नहीं
आंखों से आंखें मिला नहीं सके मजबूर
गला रौंधा ग़मगीन हरे है भरे नहीं
माली ह़ालत मुह़ाल बमुश्किल होता गुज़र सफ़र
लिबास लुंज पुंज हरे है भरे नहीं
झुग्गी झौंपड़ी सच्च बता रही बरबस बयान
बेरोज़गारी का आलम हरे है भरे नहीं
ख़ुशी मिलने की ख़ुश-खबरी ग़म ग़स़ा
ज़ुबान रही चुप हरे है भरे नहीं
मेरी सगी बहिन का दुनिय छोड़ जाना
ताज़ियत का सबब हरे है भरे नहीं
दो चचेरे भाईयों का रुख़्स़त हो जाना
बिछुड़ना मुकद्दर में हरे है भरे नहीं
सगे मामा का बेटा कर गया अलविदा
स़दमा बना दर्द हरे है भरे नहीं
ज़िंदा ज़रूर है दूर बीच दीवार खड़ी
मरते बिना मौत हरे है भरे नहीं
अस़ल जन्म भूमि देखी अपनी आंखों से
गांव भाडासिंधा भरपुर हरे है भरे नहीं
ननिहाल गांव रड़ियालो देखा इकलोती मामी ज़िंदा
अनजान नये चेहरे हरे है भरे नहीं
नाम सुन मिलने आये कोड से ‘कागा’
मां बाप का हरे है भरे नहीं

क्रमश:

कवि साहित्यकार: डा. तरूण राय कागा

पूर्व विधायक

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