Latest Article

याद न आये
कविताएँ

याद न आये, बीते दिनों की

याद न आये, बीते दिनों की बैठी हूँ नील अम्बर के तलेअपनी स्मृतियों की चादर को ओढेजैसे हरी-भरी वादियों के नीचेएक मनमोहक घटा छा जाती हैमन में एक लहर-सी उठ जाती है।जैसे कोई नर्म घास के बिछौनों परकोई मन्द पवन गुजर जाती हैदेखकर प्रकृति नटी के इस रूप मेंबचपन में की गई शरारतेंफिर से आंखों…

शुभ कर्म | भजन
कविताएँ

शुभ कर्म | भजन

शुभ कर्म ( Subh Karm ) मानव शुभ कर्म करें , गुणगान गायेंगे।देवत्व करम करें, देवता बन जायेंगे।।टेक।। सूरा जो पियेगा तो, सूअर बन जायेगा।शहद मीठा खायेगा ,स्वाद मीठा आयेगा।दर्पण में छाया हो, वही दिखलायेंगे।।1।। आग में हाथ डाले तो, जल ही जायेगा।सागर में जो गिरे, वह डूब ही जायेगा।कुआं में बोलोगे, वही बतलायेंगे।।2।। बिच्छू…

बहाना जो किया
ग़ज़ल

बहाना जो किया | Bahana jo Kiya

बहाना जो किया ( Bahana jo Kiya ) बहाना जो किया तूने बहुत प्यारा बहाना हैमुझे तेरे बहाने को हकीकत से सजाना है आयी है जब जवानी स्वप्न आयेंगे जवानी केमुझे आगे का जीवन उन्हीं के साथ बिताना है कभी रोड़ा कभी गाली मिलेंगे रास्ते में परसफ़र रोके बिना प्रत्येक अड़चन को हटाना है हे…

दिल से
ग़ज़ल

दिल से | Dil Se

दिल से ( Dil Se ) आप क्या,सबसे बाख़ुदा दिल से।हमने की है सदा वफ़ा दिल से। चैन हम को ज़रूर आएगा।आप दे-दें अगर दवा दिल से। हम पे मरता है या नहीं मरता।पूछ कर देखिए ज़रा दिल से। हम तो रूठे हैं बस मुरव्वत में।आपसे कब हैं हम ख़फ़ा दिल से। अपनी तक़दीर भी…

तेरी यादों के
गीत

तेरी यादों के | Teri Yaadon Ke

तेरी यादों के ( Teri Yaadon Ke ) तेरी यादों के मेघों से ,हर निशा दिवस ही मंगल है ।जो सीच रहा मन-मरुथल को ,वो मेघ सलिल गंगाजल है।। वर्षों से बरखा रूठ गई ,इस मुरझाई फुलवारी से।अब नील गगन को ताक रहे, मन मारे किस लाचारी से ।कब भाग्य विधाता रीझ सके ,उच्छवासों की…

बाजारीकरण की भेंट चढ़े हमारे सामाजिक त्यौहार।
आलेख

बाजारीकरण की भेंट चढ़े हमारे सामाजिक त्यौहार।

हिंदुस्तान त्योहारों का देश है। त्यौहार हमको सामाजिक और संस्कारिक रूप से जोड़ने का काम करते हैं। हमारी सांस्कृतिक और संस्कारिक एकता ही भारत की अखंडता का मूल आधार है। “व्रत-त्यौहारों के दिन हम देवताओं का स्मरण करते हैं, व्रत, दान तथा कथा श्रवण करते हैं, जिससे व्यक्तिगत उन्नति के साथ सामाजिक समरसता का संदेश…

घर की अदला-बदली
ग़ज़ल

घर की अदला-बदली करके सियासत करने वालों से

घर की अदला-बदली करके सियासत करने वालों से जनता ही लेगी हिसाब, बग़ावत करने वालों से,घर की अदला-बदली करके सियासत करने वालों से। टूटी फूटी, नाली सड़कें, गुस्से में है बच्चा बच्चा,एक महफ़िल ही नाराज़ नहीं, सदारत करने वालों से। कल तक जिनको गाली दी थी कैसे आंख मिलाओगे,पूछ रहा हूं, मैं भी आज, हिमायत…

आंचल छांव भरा
कविताएँ

आंचल छांव भरा | Aanchal Chhanv Bhara

आंचल छांव भरा ( Aanchal Chhanv Bhara ) हो गर साथ उसका तो तू क्या मिटा पायेगा।ख़ाक हो जाएगा तिरा अहम् तू निकल ना पायेगा। दर्द , ज़ख्म हैं पोटली में उठा और जिये जा।रिसते ज़ख्मों को भला कहां तू दिखा पायेगा। आंचल छांव भरा चला गया साथ मां के।ममता का साया तू अब कहां…

खून पसीना यार निकलता रहता है
ग़ज़ल

खून पसीना यार निकलता रहता है

खून पसीना यार निकलता रहता है खून पसीना यार निकलता रहता हैपैसों से बाज़ार उछलता रहता है तुमने देखा है जिस उगते सूरज कोहमने देखा वो भी ढ़लता रहता है रोते रहते बच्चे मेरे दाने कोऔर पतीला चूल्हा जलता रहता है जश्न सियासी कूचों में होता रहताबेबस औ मजदूर कुचलता रहता है क्या उम्मीद लगायें…

उनकी चाहत में
ग़ज़ल

उनकी चाहत में | Unki Chahat Mein

उनकी चाहत में ( Unki Chahat Mein ) इश्क़ में जब से वो कबीर हुएउनकी चाहत में हम सग़ीर हुए कोई तुम सा नहीं है जाने जाँइश्क़ में तुम तो यूँ नज़ीर हुए उठ के ताज़ीम अब वो करते हैंजिनकी नज़रों में हम हक़ीर हुए तिश्नगी मेरी बुझ न पाई कभीचाहे कितने ही आब गीर…