Avsar
Avsar

अवसर

( Avsar ) 

 

अतीत को हवा तो नही दी जाती
पर,अतीत को भुलाया भी नही जाता
उड़े हों वक्त के परखच्चे जहां
उसे भी तो राख मे दबाया नही जाता

माना बदलाव नियम है प्रकृति का
तब भी तो ढलना ढालना होता है
न चाहे यदि बदलना कभी एक तो
दूसरे को भी खुद मे बदलना होता है

कट्टरता मे विवेक नही होता
सहनशीलता मे कट्टरता नही होती
सुख जाते हैं वो दरख़्त हरे भरे
जिनकी जड़ें मजबूत नही होती

खंडहर होते हैं गवाह आंधियों के
पर,आंख के अंधों को दिखते नही
मर ही गया हो जब स्वाभिमान जिनका
कौन कहता है वो कल भी बिकते नही

आज आपका,कल वक्त किसी और का
भरोसा करें भी कैसे,दोगले खून का
जागो,जागकर देखो कल को अपने
कल देगा न अवसर एक भी जून का

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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