Hindi Poem on Mitra
Hindi Poem on Mitra

मित्र वही

( Mitra wahi ) 

 

 

मित्र वही जो खुल कर बोले

हिय की बात भी मुंह पर खोले

नहीं छुपाए कोई बात

देता हर सुख दुख में साथ

प्यार का मधुरस दिल में घोले,

मित्र वही जो खुल कर बोले।

 

हर दुःख को वह अपना,समझे

बात बड़ी हो पर ना उलझे

मन पर लाए बिन कोई बात

रहता है वह सुलझे सुलझे

मित्र मित्र को मन से तोले

मित्र वही जो खुल कर बोले।

 

सदा सही को सही बताए

गलत गलत में ना उलझाए

सच्चा साथी सदा का मीत

बन कर सच्ची राह दिखाए

होके निश्छल मन के भोले

मित्र वही जो खुल कर बोले।

 

हाथ बढ़ाता साथ निभाता

कदम मिलाकर चलता जाता

ना थकता ना थकने देता

मंजिल का वह राह दिखाता

राज दिलों का खुल कर बोले,

मित्र वही जो खुल कर बोले।

रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी

( अम्बेडकरनगर )

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