आजादी के तराने | Azadi ke tarane kavita
आजादी के तराने
( Azadi ke tarane )
क्रांतिकाल में लड़ी वीरों ने आजादी की लड़ाई थी
भारत माता के चरणों में प्राणों की भेंट चढ़ाई थी
हंसते-हंसते झूल गये फांसी के फंदे चूमे थे
आजादी के परवाने बस देश प्रेम को झूमे थे
रणभूमि में कूद पड़े रणवीर जौहर दिखलाने को
रण योद्धा महासमर में बैरी के छक्के छुड़ाने को
भारत मां के जयकारे जब गूंज उठे थे व्योम से
वंदे मातरम वंदे मातरम वीर गा रहे थे भौम से
वीरों की कुर्बानी से अपना वतन आजाद हुआ
खुशहाल ये चमन हमारा देश मेरा आबाद हुआ
आओ सब गणतंत्र मनाएं हम गीत वतन के गाए
आजादी के दीवानों को हम शत-शत शीश नवाएं
याद करें उनकी कुर्बानी वतन पे लूटा गए जान
कर गए आजाद वतन को अपना प्यारा हिंदुस्तान
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )