बारिश | Baarish
मुझे याद है वो बारिश का पानी और उसके साथ की कहानी उस दिन सुबह से ही बादल गड़गड़ा रहे थे। हम सब कल्लू चाचा के घर भागवत भंडारे मे जाने को तैयार हो रहे थे।
सबने नये कपड़े पहने थे मगर मैने पुरानी कमीज ही पहन रखी थी क्योंकी कल मुझे मेरे दोस्त के बहन की शादी मे जाना था और मेरे पास एक ही नयी कमीज थी।
मुझे डर था की बारिश मे कहीं मेरे कपड़े खराब न हो जाएं इसलिए मैने पुरानी कमीज मे ही भंडारा खाने का तॅय किया। मेरे सभी दोस्तों मे एक काफी अमीर घर का लडका था उसने मेरा मजाक उड़ाया तो मुझे नयी कमीज पहननी पड़ी और वही हुआ जिसका मुझे डर था।
झमाझम बारिश..
हम सब ने छाता लेकर जाना तॅय किया। हम सब निकले ही थे कि मेरे अमीर दोस्त का पैर फिसला और उसके सारे कपड़ों पर कीचड़ लग गया। उसका और सभी दोस्तों का घर काफी दूर था इसलिए उसे मेरे वही उतारे हुए कपड़े पहनने पड़े जिसका उसने मजाक उड़ाया था। पीठ पीछे सभी बच्चे मेरे समेत हॅस रहे थे और वह बस खिसिया कर रह गया था।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)