Bachpan ka Pyar
Bachpan ka Pyar

बचपन का प्यार भूल नहीं जाना रे

( Bachpan ka pyar bhul nahi jana re ) 

 

मेरे अंश मेरे ख़ून तुम याद सदा ही रखना रे,
तुम बचपन का प्यार मेरा भूल नही जाना रे।
तेरे जन्म के खातिर कोई मन्दिर ना छोड़ा रे,
मस्जिद चर्च गुरुद्वारों के भी चक्कर काटे रे।।

तेरे लिए राज दुलारे क्या-‌ क्या दुःख झेले रे,
तुम बचपन का प्यार मेरा भूल नही जाना रे।
नौ- माह तुझे ख़ून से सींचा तब जग देखा रे,
बुढ़ापे की रोटी का हो तुम ही एक सहारा रे।।

पाल- पोस तुझे बड़ा कर शादी तेरी रचाई रे,
तुम बचपन का प्यार मेरा भूल नही जाना रे।
मुॅंह निवाला तुझको खिलाया लोरी सुनाई रे,
भूखी प्यासी स्वयं रहकर तुझे दूध पिलाई रे।।

खोल अपनें दिल के नयन फिर तू सोचना रे,
तुम बचपन का प्यार मेरा भूल नही जाना रे।
धूम-धाम से शादी रचादी बच्चें तेरे हो गए रे,
प्यार जैसे उनसे करता ख़्याल मेरा रखना रे।।

समय बड़ा बलवान है रखना मां पर ध्यान रे,
तुम बचपन का प्यार मेरा भूल नही जाना रे।
जैसा बोया वैसा पाएं यही है विधि-विधान रे,
माॅं से बड़ा कोई न जग मे यही चारों धाम रे।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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