Man mein Hariyali
Man mein Hariyali

तब होगी मेरे मन में हरियाली

( Tab hogi mere man mein hariyali ) 

 

घर-परिवार रहें सुखी और सम्पन्न,
रहें आशीष भगवान ‌का सभी पर।
प्रेम महोब्बत से रहें हम सारे लोग,
कलह कलेश कोई रहें न धरा पर।
तब होगी मैरे मन में हरियाली।।

बीज-बुवाई सभी खेतों में हो जाएं,
बारिश होकर फ़सल भी उग जाएं।
ननाण, कटाई फ़सले ये पक जाएं,
फिर अनाज ये सारा घर आ ‌जाएं।
तब होगी मैरे मन में हरियाली।।

आज शोर जो ये हो रहा सब और,
फ़ैली जो यह महामारी चारों और।
न कोई काम व्यवसाय हो रहे बोर,
मिटजाए अब ये कोरोना का शोर।
तब होगी मैरे मन में हरियाली।।

गृह-लक्ष्मी ख़ुश तो होली-दीवाली,
न मिलेगी इनके बिना रोटी थाली।
सावन का लहंगा दिलादो घरवाली,
पहनके चलेगी वो चाल मतवाली।
तब होगी मैरे मन में हरियाली‌।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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