बदलाव की लहर | Badlav ki Lahar
बदलाव की लहर
( Badlav ki lahar )
नया जमाना नई सभ्यता नई भोर नई लाली है।
बदलावों की लहर है, यहां हर बात निराली है।
यहां हर बात निराली है
बदल गया सब रंग ढंग, फैशन बदला सारा।
बदल गई है रीत पुरानी, बदली जीवनधारा।
अपनों में बेगाने होकर, चाल चले मतवाली।
टूट रहे परिवार सारे, लाचार चमन के माली।
यहां हर बात निराली है
रुत बदली मौसम संग, बदला अपनापन प्यारा।
ईर्ष्या द्वेष छल कपट, घट घट रहा समाया सारा।
आ गया चलन फैशन का, जीजा संग घूमे साली।
धन के पीछे सब दौड़ रहे, है फिर भी जेबें खाली।
यहां हर बात निराली है
संस्कार सारे बदले, समीकरण हमारे बदले।
शतरंजी चालें बदली, वोटों के सितारे बदले।
राजनीति की गलियों में, मोहरे बजाते ताली।
बदल गया जमाना, है लहर बदलावों वाली।
यहां हर बात निराली है
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )