बैठ जाता हूँ
बैठ जाता हूँ
कितना इंतज़ार करता हूँ मैं
हर सुबह और शाम
इसी आस में कि
अभी उसका फ़ोन आएगा
और पूछेगी मुझसे
मेरा हाल……
आता है जब फ़ोन
चार पाँच दिनों के बाद
बस दो मिनट भी नहीं
कर पाती बात
और बिन कहे ही
काट देती है कॉल
मैं बोलता रहता हूँ…….
बहुत दुःख होता है जब
वो ऐसा करती है
मैं फिर भी
उस अदृश्य से प्यार को
बनाए रखने के लिए
करता हूँ लम्बा इंतज़ार
उसके फोन कॉल का
दिल मसोसकर
बैठ जाता हूँ फिर…..!