कोरोना की बरसी !
कोरोना की बरसी !

कोरोना की बरसी !

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सुन आई हंसी
देखा केक काट थी रही!
किसी ने कहा-
जन्मदिन मना ली?
अब जाओ
इतना भी न सताओ।
करोड़ों पर तेरी कृपा हुई है
लाखों अब भी पीड़ित हैं
इतने ही हुए मृत हैं।
न दवा है न वैक्सीन
और कितना रूलाएगी?
ऐ हसीन!
हसीन कहने पर लोग गुस्सा होंगे?
लेकिन कहने वाले तो तुझे
कोरोना देवी और माई भी कह चुके हैं
तुझे प्रकट होते देखे हैं!
अवतार समझ पूजा भी किए हैं
लेकिन तू न मानी
करती रही मनमानी!
भारत अमेरिका में ही चला तेरा जोर
जहां तेरे नाम की है चर्चा
और अतिशय शोर;
कदम कदम पर मेडिकल टीम
जांच कराने पर दे रही जोर;
बच्चे आनलाईन पढ़ाई से हो गये है बोर।
फिर से लाॅकडाउन न हो जाए,
मन ही मन व्यापारी सब हैं घबराए।
क्या है कि
बिहार चुनाव का अब थम गया है शोर!
तो कोरोना बढ़ने की चर्चा हो रही चहुंओर।
अभी सर्दी शुरूआती है
दिसंबर जनवरी बाकी है।
जाने क्या होगा आगे?
मृतकों की संख्या ज्यादा न भागे,
हाथ जोड़ता हूं तेरे आगे।
अब बस करो ना!
मना ली बरसी?
खाओ मेरी तरफ से बर्फी।
जानो सबकी मर्जी!
भयंकर पड़ने वाली है सर्दी।
चली जाओ-
वरना तेरी चपेट में सब आ जाएंगे,
असंख्य बूढ़े बच्चे मर जाएंगे!
धरती बन जाएगी मुर्दाघर
लाशें पड़ी होंगी घर घर
तू भी अपने घर वापसी कर।

 

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नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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