राजस्थानी साहित्य के द्रौणाचार्य जनकवि बजरंग लाल पारीक ‘लाल’ की 39वीं पुण्यतिथि पर काव्य गोष्ठी आयोजित
नवलगढ़। राजस्थानी साहित्य के द्रोणाचार्य एवं सुप्रसिद्ध काव्य रचना “चांद चढ़्यो गिगनार” के रचयिता जनकवि बजरंग लाल पारीक ‘लाल’ की 39वीं पुण्यतिथि के अवसर पर एक भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत जनकवि ‘लाल’ के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। मुख्य अतिथि के रूप में ठाकुर आनंद सिंह शेखावत उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी कैलाश चोटिया, ओमप्रकाश मिन्तर एवं कालूराम झाझड़िया ने की।
कवि सुरेश जांगिड़ और रमाकान्त सोनी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कवि सज्जन जोशी ने जनकवि ‘लाल’ के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए ओजस्वी रचना प्रस्तुत की।
कवि रिद्धीकरण बसोत्तिया और कवि हरेंद्र त्यागी ने वर्तमान सामाजिक परिदृश्य पर केंद्रित रचनाओं के माध्यम से समाज को संदेश दिया।

जनकवि ‘लाल’ के ज्येष्ठ पुत्र कवि हरिप्रसाद पारीक ‘नीरव राजस्थानी’ ने एक से बढ़कर एक मुक्तकों के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं उनके दूसरे पुत्र कवि श्रीकांत पारीक ‘श्री राजस्थानी’ ने बेटी पर आधारित मार्मिक रचना सुनाई और कहा, “बहु सबको चाहिए लेकिन बेटी नहीं चाहिए”—जिसने श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में
वैध रामकृष्ण जी शर्मा सोनक, रतन लाल नारनौलीया , जगदीश सुरेश सुनालिया, बजरंग लाल शर्मा, सुरेश सोनी, ताराचंद ट्रेलर, एडवोकेट तरुण मिन्तर, सीताराम धोडेला, मक्खन लालजी चोबदार, पूर्व प्राचार्य विनोद चौबे, देवेंद्र पारीक, धीरेंद्र पारीक, शैलेंद्र पारीक, एडवोकेट कुलदीप पारीक, केशव पारीक, कृष्ण पारीक सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही।
अंत में रमाकान्त पारीक ने सभी अतिथियों, कवियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।