![ghazal likh raha hai गजल लिख रहा है](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2020/12/ghazal-likh-raha-hai-696x435.jpg)
गजल लिख रहा है
जिसकी माचिस से घर जल रहा है,
वो उसी पर गज़ल लिख रहा है।।
आपके आने का ये असर है,
झोपड़ी को महल कह रहा है।।
अच्छी लगती नही बेरुखी अब,
मैं नहीं मेरा दिल कह रहा है।।
शेष क्या हो गया है उसे अब,
लब को ताजा कमल कह रहा है।।
फूलों पर नींद आती नहीं थी,
आज कांटों पर वो चल रहा है।।
वक्त था जब तब समझे नहीं तुम,
किसलिए हाथ अब मल रहा है।।