
प्यारी ये बेटियां
( Pyari ye betiyan )
साहस और ज़ुनून के बल नाम कर रहीं लड़कियां,
हिम्मत इनका पिता है एवं ऑंचल माॅं की गोदिया।
बिन पंखों के उड़ रहीं आज देखों प्यारी ये बेटियां,
चाहें जाओ कन्याकुमारी या काश्मीर की वादियां।।
ना आज यह किसी से डरती ना किसी से घबराती,
जहां पहुॅंच जाता है पुरूष यें वहां भी पहुॅंच जाती।
नहीं-घबराती नहीं-कतराती नहीं-घमंड़ यह करती,
बुलन्द हौंसले रखतीं और सबका हौंसला बढ़ाती।।
घर कार्य में हाथ बंटवाती खेत खलिहान में जाती,
पापा मम्मी अब्बू अम्मी सबका ध्यान यह रखतीं।
पढ़ती और पढ़ाती छोटे भाई बहन को संग लेकर,
नहीं निराश करती किसे अरमान दफ़न कर लेती।।
एक घर में यहीं राजदुलारी बनकर के जन्म लेती,
दूजें में लक्ष्मी का रुप बनकर ससुराल को जाती।
बिटियां बहु अर्धांगिनी माॅं सास का फ़र्ज़ निभातीं,
जिस काम को करतीं उसमें सफ़लता वह लाती।।
नृत्य कला संगीत श्रृंगार से सबका मन मोह लेती,
ज़रुरत पड़े तो ये बेटी झाॅंसी सा ज़ौहर दिखाती।
देश-विदेश के कोनों में जिसने छाप अनेंक छोड़ी,
मायका वो हक़ से आती मधुर मुस्कान दे जाती।।
