बेवफाई

( Bewafai ) 

 

वक्त के धागे कभी, कमजोर नहीं होते
तेरी यादों ने ही निभाई है, अपनी वफादारी

बातों में छलावा था ,दिल में थी मक्कारी
होठों की मुस्कान तेरी, महज थी एक अदाकारी

दिए तेरे जख्मों के दर्द को, पीता हूँ सुबह शाम
फरेब था तेरी चाहत में, मन में भरी थी गद्दारी

जाना था चले जाते, पता था हमें भी इस बात का
अनदेखा कर गए, यह भी एक चाल थी तुम्हारी

खेल नहीं होता,दिल से दिल के लगी प्रीत की
तेरे रोज रोज के बहनों में थी, झूठ की लाचारी

बेवफा के हुस्न पर, कभी यूं फिदा नहीं होते
ना होता कोई ईमान उनका, ना होती कोई दिलदारी

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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