Meri Purnata

मेरी पूर्णता | Meri Purnata

मेरी पूर्णता

( Meri purnata )

 

यथार्थ के धरातल पर ही रहना
पसंद है मुझे
जो जमीन मेरी और मेरे लिए है
उससे अलग की चाहत नहीं रखता

क्यों रहूँ उस भीड़ के संग
जहां सब कुछ होते हुए भी
और भी पा लेने की भूख से सभी
त्रस्त हों

वहां कोई संतुष्ट हो ही नहीं रहा है
दिखावे में जीने से अच्छा है
वास्तविकता को ही स्वीकार कर लो
कम में भी खुश रहने से अधिक
कोई और पर्याय हो ही नहीं सकता

कर्म और कर्तव्य जरूरी है
स्वयं के प्रति भी और परिवार समाज के प्रति भी
देश और समस्त सृष्टि के प्रति भी
उससे अलग की इच्छा और प्रयास
इंसान को इंसान नहीं रहने देती

मुझसे किसी की उम्मीद टूटे
या मेरी किसी अन्य से टूटे
इससे बेहतर है मेरे प्रयास का हक ही
मुझे मिलता रहे
और मेरी पूर्णता भी इसी में है

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

प्रश्न | Prashn

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *