भारत के वीर जवान

( Bharat ke veer jawan ) 

 

हे भारत के वीर जवान तुम सबको है सादर प्रणाम,
भारत माता के हृदय पर लिखा है तुम सच्चे सपूतों का नाम,

तेरे अनुपम त्याग से ही हम सुखी जीवन बिताते हैं,
तेरे अदम्य साहस से हम सुरक्षित रह पाते हैं,

तेरी हिम्मत और वीरता पर टिकी है हमारी जीवन रेखा,
कर्तव्य निभाने की खातिर तूने न कभी दिन रात देखा,

हम बैठे होते हैं घरों में तुम झेल रहे होते हो गोली,
न कोई त्यौहार तुम्हारा चाहे हो दीवाली या होली,

न परिवार की चिंता न किसी प्रकार का तुमको भय,
तुम्हारे त्याग समर्पण से ही भारत देश हुआ निर्भय,

कश्मीर की ऊंची पहाड़ियां हों या राजस्थान का गर्म रेगिस्तान,
हर हाल में हर परिस्थिति में रखते अपने प्यारे तिरंगे की शान,

कितने दुश्मन आएं नहीं हटते भले सो जाते संगीन पर रख माथा,
कश्मीर से लेकर अरुणाचल तक फैली है तुम्हारी शौर्य गाथा,

भारत भूमि की रक्षा करते तुममें से कई हुए कुर्बान,
धन्य है मातृभूमि पर किया गया तुम्हारा ये बलिदान,

तुम्हारे बलिदानों के दम पर ही हम आजाद सांस ले पाते हैं,
चहुं ओर दुश्मनों से घिरे होने पर भी खुद को सुरक्षित पाते हैं,

देश की रक्षा की खातिर जो अपना सर्वस्व समर्पण करते हैं,
भारत मां के सच्चे सपूतों को हम श्रद्धा सुमन अर्पण करते हैं,

धन्य तुम्हारी शौर्य गाथा और धन्य है तुम्हारा बलिदान,
हे भारत के वीर जवान तुमको है सादर प्रणाम।।

 

रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )

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