भेड़ और भेड़िए Bhed Aur Bhediye
भेड़ और भेड़िए
( Bhed Aur Bhediye )
भेड़ और भेड़िए का रिश्ता
बहुत पुराना हैं आदिम काल से
भेड़ अमूमन भेड़ ही रही
भेड़िए हमेशा भेड़िए
बहुत कोशिश के बाद भी
उनका कत्ल-ए-आम रुका नहीं है
कुछ भेड़े मिल गई हैं भेड़ियों से
इस उम्मीद में
कि शायद उनकी जान
बख्श दी जाएगी
पर वो जानती नहीं थी
कि पिछली भेड़ों ने भी
यही गलती दोहराई थी
भेड़ें ऐसी गलती दोहराती रहती है
और भूल जाती हैं
भेड़ियों का इतिहास
सबका नंबर आएगा
कोई नहीं बच पायेगा
भेड़ों के झुण्ड में
कभी कभी पैदा हो जाते हैं
बाघ भी
वो उठ खड़े होते हैं
भेड़ियों से लड़ने के लिए
लगातार अपनी समझ को तराशते हुए
जब वो पढ़ लेते हैं सिंहों का इतिहास
वो अपनी ही देश में
भेड़ों के बीच
देश द्रोही हो जाते हैं
भेड़ियों को यह पसंद नहीं
भेड़ें छोड़ दें डरना भेड़ियों से
और बाघ बन जाए
बाघ डरते नहीं भेड़ियों से
जैसे डरती हैं भेड़ों के झुण्ड
उनको डराने के वास्ते
धरपकड़ शुरू की जाती है
जंगली कुत्तों को छोड़ दिया जाता है
भौंकने के वास्ते
शिकारियों को पीछे लगाया जाता है
जाल बिछाया जाता है
बाघ फिर भी रोते नहीं है
गिड़गिड़ाते नहीं बकरों से
वो बस मुस्कुराते हैं
जेल में ठूंस दिए जाने के बाद भी
जो बच गए हैं
समझ रहे हैं
हम बच गए हैं
मगर बचेगा कोई नहीं
भले गच्चा दे दिया
बच गया किसी तरह
बचेगा वही जो लड़ेगा
बाघ बनकर
रचेगा कुछ बाघ
लिखेगा सिंह सा इतिहास
दीपक वोहरा
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Thanks a lot 🙏
चिंतन को प्रभावित कर गई आपकी रचना! आवश्यक विषय पर सार्थक सृजन किया है आपने आदरणीय सर!
Nice but make it also available in English