भिखमंगा | Bhikhmanga

भिखमंगा 

( Bhikhmanga ) 

 

भुख से टुटल बा, पेट ओके रुठल बा

दु दाना के आश बा, ओके इहे पियास बा

 

लोटा ओके हाथ में, एगो कपड़ा साथ में

दर-दर उ भटक रहल बा, रोटी के तलाश में

समय से झगड़ा बा, आंख से लंगड़ा बा

सबसे ओके आश बा , कुछ खाये के पियास बा

 

मुख से टुटल बा, पेट ओके रुठल बा

दु दाना के आश बा, ओके इहे पियास बा

एगो ल‌इका साथ में , लाठी ओके हाथ मे

अउर ऊ जूझ रहल बा , समय के हड़ताल मे

 

दिल से तगड़ा बा , ना केहू से झगड़ा बा

बस कुछू के आश बा,ओके ईहे पियास बा

भुख से टुटल बा, पेट ओके रुठल बा

दु दाना के आश बा, ओके इहे पियास बा

 

पेट चिपकल पिठ मे, सिना ओके रीढ़ मे

अउर ऊ तड़प रहल बा, पेट के भुचाल में

पुरा तरह से टुटल बा, ना केहु से रुठल बा

ओके ना कुछ नाखास बा, बस खाये के आश बा

 

रचनाकार – उदय शंकर “प्रसाद”
पूर्व सहायक प्रोफेसर (फ्रेंच विभाग), तमिलनाडु
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महल | Mahal Bhojpuri Kavita

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