
शब्दों को गढ़ना सीख लिया
( Shabdon ko gadhana seekh liya )
रंग बदलती दुनिया में हमने भी बदलना सीख लिया।
भाग दौड़ के जीवन में संभल के चलना सीख लिया।
कुंदन बनने की खातिर ज्वाला में जलना सीख लिया।
सुरभित सी पुरवाई में मादक बन बहना सीख लिया।
सपने सच हो जाएंगे आंखों को पढ़ना सीख लिया।
बुलंद हौसलों साहस से हमने भी लड़ना सीख लिया।
परचम लहरा जाएगा हमने अब उड़ना सीख लिया।
हुई कृपा मां वाणी की शब्दों को गढ़ना सीख लिया।
तेरी किस्मत में क्या लिखा भाग्य जगाना सीख लिया।
रोशन कर दे जग सारा अंधकार भगाना सीख लिया।
आओ मीठी बातें कर ले घुल मिल जाना सीख लिया।
दुश्मन की औकात नहीं आंख मिलाना सीख लिया।
बिना बुलाए हम ना जाए नया बहाना सीख लिया।
मुस्कानों के मोती बांटे थोड़ा मुस्काना सीख लिया।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )