मजबूर | Bhojpuri kavita majboor
मजबूर
( Majboor )
खुन के छिट्टा पडल, अउर पागल हो गइल
ना कवनो जुर्म कइलक, कवन दुनिया में खो गइल
जब तक उ रहे दिवाना, शान अउर पहचान के
सब केहू घुमत रहे, लेके ओके हाथ पे
आज समय अ्इसन आइल बा, लोग फेंके ढेला तान के
कहां गइल मानवता, सभे हंसे जोर से ठान के
सब केहू कहेला ओके, पागल भइल बा जान से
रख जवाना देखें अपना के, ओके जगह पे ध्यान से
मिल जाई सबुत जे दरद के, ओके स्थिति जान के
छोड़ दी मारल ताना, ओके आपन मान के ।