कविताएँ Bhojpuri Vyang | प्रधानी March 15, 2021 656 0 Share WhatsApp ReddIt Facebook Twitter Pinterest Telegram Viber प्रधानी प्रधानी ( Pradhani ) 1 गउंआ भा लंका बजा जब डंका फोन गईल घर से राजधानी आवा हो भैया कन्हैया भी आवा भौजी लड़े अबकी प्रधानी ….. आवा हो भैया…. 2 आपन सीट जुगाड़ भी फीट करें मनमानी जो देवई पीट चले नहीं मर्जी नहीं वोट फर्जी होय ना देबई अबकी बेईमानी ….. आवा हो भैया… 3 दारू मुर्गा और बाटब साड़ी बाटी खियाउब पियाउब ताड़ी नोट से वोट खरीद के खूब लड़े अबकी मर्दानी ….. आवा हो भैया… 4 छपा तब पर्चा बढ़ा तब खर्चा होई लगी तब गाँव में चर्चा वोटर सपोर्टर सब घूमे फिरे जयकारा लगावे जय हो भवानी….. आवा हो भैया…. 5 मिला निशान किसान ओसावे घर घर भौजी और भैया चिन्हावे साथ में हाथ धरे तब घूमे देखी राखी भैया के पानी… आवा हो भैया…. 6 वोट पड़ी खूब नोट लड़ी मतदाता के मन में खोट बड़ी मतदाता का हाल विधाता न जाने जीत रही अब कौन निशानी … आवा हो भैया…. 7 शुरू मतगणना गणना बा जारी दस वोट से भौजी गई तब हारी देखि के हाल वेहाल बा भौजी “रूप” के आखों में आये भी पानी….. आवा हो भैया….. कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ” औराई, भदोही ( उत्तर प्रदेश।) यह भी पढ़ें : Bhojpuri Vyang नेतागिरी RELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR कविताएँ चाह | Chaah कविताएँ इधर उधर की बातें छोडों | Idhar Udhar ki Baatein कविताएँ पापा की परी से प्रेम कहानी | Papa ki Pari LEAVE A REPLY Cancel reply Please enter your comment! Please enter your name here You have entered an incorrect email address! Please enter your email address here Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ