Payal geet
Payal geet

पायल

( Payal )

 

बजे पायल की झंकार
मन मेरा डोल उठा
मन मयूरा नाचे ताल
गीत मेरा बोल उठा

 

करे घुंघरू खूब धमाल
दीवानों को घायल
रुनझुन रुनझुन की तान
छेड़ती है पायल

 

पैरों का करे सिंगार
प्रियतम झूम उठा
चमके चांदी की पायल
जमाना घूम उठा

 

मदमस्त बहारें मोहक सी
बरसता हो जैसे सावन
गुलशन में सारे पुष्प खिले
अधर मुस्कान हो भावन

 

गौरी का रूप जब संवरा
संगीत स्वर डोल उठा
खुशियों का आलम छाया
धूम मची मन बोल उठा

 

दिलों के बजते तार सभी
मन की गांठे खोल उठा
जब पायल के घुंघरू बाजे
दिल का इकतारा बोल उठा

 

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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