चाहता हूँ भूलना | Bhulna shayari in Hindi
चाहता हूँ भूलना
( Chahta hoon bhulna )
तल्ख़ लहज़े में बहुत की बात है ?
वो दुखा मेरे गया जज़्बात है
चाहता हूँ भूलना जिसको सदा
ख़्वाब से उसकी भरी हर रात है
ज़ख्म उल्फ़त में दग़ा के दे गया
कर गया कब फूलों की बरसात है
साथ देने की क़सम खायी बहुत
आज आयी उसके घर बारात है
नफ़रतों के ज़ख्म दिल पर है मिले
कब मुहब्बत की मिली सौग़ात है
जुल्म करने पर लगा वो प्यार में
प्यार के गाये कब वो नग्मात है
प्यार का आज़म जिसे गुल दिया
दे गया वो प्यार में क्यों मात है