अपनापन

अपनापन | Laghu Katha Apnapan

निशा जी को परिचारिका बड़े प्यार से उनके कमरे में बिठाकर उन्हें सब कुछ समझाकर बाहर निकल गई। निशा जी गौर से कमरे को चारों तरफ से देखने लगीं। कुर्सी से उठकर खिड़की के पास आ गई और बाहर देखने लगीं। बाहर बहुत सुंदर फूलों से सजा बगीचा देख उनके होंठों पर मुस्कान तैर गई।…

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कैसे करें गर्व देश पर | Kaise Karen Garv Desh Par

कैसे करें गर्व देश पर ( Kaise Karen Garv Desh Par ) हो कैसे स्वतंत्रता दिवस का अभिमान? हो रहा जब अपने ही देश में, डॉक्टर बेटियों का अपमान! नारा देते बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ, आत्म निर्भर उनको बनाओ। पढ़ लिख डाक्टर बन जाती, क्या मिल पाता उनको आत्म सम्मान? लोगों की जान बचाने ख़ातिर जन…

धर्मांतरण

धर्मांतरण | Kahani Dharmantaran

अभी सुबह-सुबह का मुश्किल से 7:00 बजे होंगे। महेश मॉर्निंग वॉक से लौटा ही था कि रास्ते में रुमाल लटकाए हुए बड़ी तेजी से गांव का एक व्यक्ति चला जा रहा था। मनीष को देखने के बाद वह थोड़ी और तेजी चलने लगा जिससे आमने-सामने उसकी टकराहट ना हो। फिर भी टकराहट हो गई। उसने…

वो लड़की

वो लड़की | Laghu Katha Wo Ladki

मां बाप की पांच संतानों में से एक,सबसे ज्यादा सुंदर,गोरा बदन, काले घने लम्बे बाल, सुंदरता की मिसाल, कोमलांगी कन्या। जहां खड़ी हो जाए, देखने वालों की निगाहें वहीं टिक जाएं। वो सरल है,सहज है, भोली है, कोई फर्क नही पड़ता, लोग क्या करते हैं, पर उसे अपनी मंजिल तक पहुंचना है। परिश्रम में कोई…

बंदरों का अमर प्रेम | Bandaron ka Amar Prem

बंदरों का अमर प्रेम | Bandaron ka Amar Prem

हमने मनुष्य में लैला मजनू हीर रांझा आदि के अमर प्रेम की कहानी बहुत पढ़ी है लेकिन बंदर जैसे जीव भी इतने एक निष्ट प्रेमी हो सकते हैं कहना मुश्किल है। प्रेम एक प्रकार की मानसिक स्थिति है। इसका प्रवाह जिस ओर होगा उसी तरह के परिणाम भी प्राप्त होंगे। प्रेम का सहज और सरल…

डॉ. सत्यवान सौरभ : छोटी उम्र से हरियाणा के साहित्यिक क्षितिज पर निरंतर सृजनरत

डॉ. सत्यवान सौरभ : छोटी उम्र से हरियाणा के साहित्यिक क्षितिज पर निरंतर सृजनरत

लेखन में भी संपादकीय लेखक के रूप में आपने विशिष्ठ पहचान कायम की है। सभी विधाओं पर आपका लेखन हरियाणा तक ही सीमित नहीं रह कर देश के संदर्भ में भी व्यापक स्वरूप लिए हैं। आपके आलेख और पुस्तकें तथ्यात्मक, सूचनात्मक और शोध परक होने से शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इनकी रचनाएं…

कटे हुए अंगूठे की बात | Kate Hue Anguthe ki Baat

कटे हुए अंगूठे की बात | Kate Hue Anguthe ki Baat

“प्रणाम गुरूवर।” घीसा ने अपने गुरू महेश्वराचार्य को विनम्र भाव से सिर झुकाते हुए कहा। ” आरे घीसा तुम, बहुत दिनों बाद आए, कहो कैसे आना हुआ, तुम्हारा?” गुरू महेश्वराचार्य ने आश्चर्य चकित होते हुए निश्छल भाव से पूछा। “गुरूवर, आज गुरू पूर्णिमा है, सोचा दूर रहकर स्मरण करने से अच्छा है कि चल कर…

परिवर्तन | Laghu Katha Parivartan

परिवर्तन | Laghu Katha Parivartan

“हँस हरिया हंँस कि तेरे घर में तेरी बहू आई है, अब तेरा भाग्य बदल जाएगा। जितना दुख झेला है, दुबारा नहीं झेलेगा।” गांँव के ठाकुर ने हरिया को सांत्वना देते हुए कहा और उन्हें तो अंतस् में इस बात की खुशी थी कि गाँव में एक कामगारिन तो बढ़ी। “तो आपको खुशी किस बात…

लाल मिट्टी

लाल मिट्टी | Lal Mitti

ठाकुर श्याम सिंह के पूछने पर कि हरिया तेरे घर में लड़का पैदा हुआ है कि लड़की, तो उसने अपनी छाती खुशी से ठोकते हुए कहा था-“बेटी हुई है लल्ला बेटी, हम बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं मानते और दहेज से भी नहीं कांपते कि कहाँ से लाएंगे देंगे दहेज। और ,,,, और जो दहेज…

पुजारी | Pujari Laghu Katha

पुजारी | Pujari Laghu Katha

जमना बाजार में खड़ी एक दुकान पर खड़ी कुछ खरीद रही थी कि एक ट्रेक्टर ट्राली में एक सांड के शव को सफेद कपड़े के ऊपर रंग बिरंगे फूलों सें सजा जिसके आगे दो बैंड फ़िल्मी शोक धुन बजाते चल रहे थे, देखा। जैसे ही उसने अपनी गर्दन उसके जलूस को देखने के लिए घुमाई…