मुट्ठी भर गुलाल | Laghu Katha Mutthi Bhar Gulal
“आओ सोमेश्वर आओ, आज होली का दिन है। जब तक जिंदगी है तब तक तो मालिक और मजदूर चलता ही रहेगा। लेकिन बैठो, मालपुए और दहीबड़े खाकर अपने घर जाना।” परमेश्वर ठाकुर ने सोमेश्वर को प्यार से बुलाते हुए कहा। “हांँ मालिक, क्यों नहीं,जरूर खाकर ही जाएंगे।” वह कुछ दूर बैठते हुए कहा। “दूर बैठने…