वो लड़की | Laghu Katha Wo Ladki
मां बाप की पांच संतानों में से एक,सबसे ज्यादा सुंदर,गोरा बदन, काले घने लम्बे बाल, सुंदरता की मिसाल, कोमलांगी कन्या। जहां खड़ी हो जाए, देखने वालों की निगाहें वहीं टिक जाएं। वो सरल है,सहज है, भोली है, कोई फर्क नही पड़ता, लोग क्या करते हैं, पर उसे अपनी मंजिल तक पहुंचना है। परिश्रम में कोई कमी नही।
अर्थ शास्त्र और इतिहास में मास्टर्स कर ली। बी ए में गणित पढ़ा आनर्ज की भी परीक्षा दी।कुल तीन छात्राओं ने,जिनका आज तक विश्व विद्यालय ने परिणाम घोषित नहीं किया ।
एक एडेड विद्यालय में सुबह से शाम कक्षा ग्यारह बारह के साथ छोटी कक्षाएं लेने का क्रम रहा,मासिक आय छह सौ रुपए मात्र।
उसे भरोसा था,अपनी मेहनत,अपनी शिक्षा की गुणवत्ता पर।बच्चों की हरमन प्रिय अध्यापिका थी।उत्साही निरंतर आगे बढ़ने में विश्वास रखने वाली।
प्रशासक काम से खुश,बच्चे प्रसन्न,पर जब विद्यालय में पक्की सीट की बारी आती तो नाम नदारद मिलता।सरकारी नौकरी तो वर्ग विशेष की बपौती है । सपने टूट रहे थे। मंजिल दूर जा रही थी। पांव थकने लगे थे।
एक नई कोशिश, ताकी जिंदगी को रफ्तार मिल सके।कदम कदम पर अपने से पीछे वालों का आगे बढ़ते जाना और खुद का कदम दर कदम पीछे रहते जाना कहीं भीतर से खोखला करता गया।
उसे अपने से भी ज्यादा चिंता अपनी संतान की है।कहीं वो भी आरक्षण की भेंट न चढ़ जाए।संताने उत्साही हैं ठीक उसी की तरह,पर यथार्थ से अभी दूर हैं।
नहीं जानती कि वो लड़की कहां और कैसे लुढ़की थी।उसका वजूद आज भी क्या तलाश रहा है। सच में वो लड़की मेरी आंखों में आज भी नमी भर देती है।
डा. रमा शर्मा
होशियारपुर ( पंजाब )