रहा हौंसला हर मुसीबत में भारी

Ghazal | रहा हौंसला हर मुसीबत में भारी

रहा हौंसला हर मुसीबत में भारी  ( Raha Hausala Har Musibat Me Bhari )     रहा  हौंसला  हर  मुसीबत  में भारी। न टूटी दुःखों में भी हिम्मत हमारी।।   मिटे दिल के अरमां रहे सोच के चुप। किसी रोज होगी हमारी भी बारी।।   लिखा हाथ की जो लकीरों में रब ने। वो छीनेगी…

तुझको दिल देख बहल जाता है

तुझको दिल देख बहल जाता है

तुझको दिल देख बहल जाता है     तुझको दिल देख बहल जाता है। इक तेरा साथ हमें भाता है।।   डाल के आंखें तेरा आंखों में। यूं मुस्काना ग़ज़ब सा ढ़ाता है।।   पास में आना कोई बहाना कर। दिल में अरमां कई जगाता है।।   बस ख्यालों में तेरे खो जाउं। ख्याल ये…

आज आंखों में नमी है देखिए

आज आंखों में नमी है देखिए

आज आंखों में नमी है देखिए     आज आंखों में नमी है देखिए! जीस्त में उसकी कमी है देखिए   लौट आ तेरे बिना ए सनम कितनी तन्हा जिंदगी है देखिए   शहर में कोई नहीं है अपना ही हर कोई तो अजनबी है देखिए   देख ले तू प्यार से ही इक नज़र…

किसी से नहीं अब रही आस बाकी।

किसी से नहीं अब रही आस बाकी

किसी से नहीं अब रही आस बाकी     किसी से नहीं अब रही आस बाकी। रहा अब कहीं पर न विश्वास बाकी।।   मिटे प्यार में इस तरह हम किसी के। जलाने की ख़ातिर नहीं लाश बाकी।।   वफा की बहुत पर हुआ कुछ न हासिल। नहीं कुछ हमारे रहा पास बाकी।।   गए…

ढ़ल रही धूप है सूरज की देखिए

ढ़ल रही धूप है सूरज की देखिए

ढ़ल रही धूप है सूरज की देखिए     ढ़ल रही धूप है  सूरज की देखिए!  है उछल कूद ये  आदमी देखिए   भा गयी है आंखों को सूरज की लाली ख़ूबसूरत बड़ी दिलकशी देखिए    रास्ते मंजिलों के  दिखाने को ही राहों में फ़ैली है रोशनी देखिए   जीतेंगे जंग रख हौसला दुश्मन से…

हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी

हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी

हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी     हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी। धुआँ- सा उठ रहा शायद कहीं पे आग है बाकी ।।   नहीं ग़र भूल पाते हो करी कोशिश भुलाने की। बहुत यादें सताती है समझ लो राग है बाकी।।  …

है यकीं ये हम मिलेगे एक दिन

है यकीं ये हम मिलेगे एक दिन

है यकीं ये हम मिलेगे एक दिन     है यकीं ये हम मिलेगे एक दिन! साथ में दोनों चलेगे एक दिन   छोड़कर जिद वो नज़ाकत की मगर बात दिल की वो सुनेगे एक दिन   मंजिलें तेरी मिलेगी प्यार की फूलों से रस्ते सजेगे एक दिन   तोड़कर के फ़ासिलों की ही हदें…

गिला- शिकवा नहीं करते कभी ज़ालिम ज़माने से

गिला- शिकवा नहीं करते कभी ज़ालिम ज़माने से

गिला- शिकवा नहीं करते कभी ज़ालिम ज़माने से     गिला- शिकवा नहीं करते कभी ज़ालिम ज़माने से। न बेशक बाज़ आता है अभी भी दिल दुखाने से।।   सदा मस्ती में रहते है भुला के ग़म जहां भर के। बहाते अब नहीं आंसू किसी के भी रुलाने से।।   नहीं अब दिल पे लेते…

ढा रहे अपने सितम ये

ढा रहे अपने सितम ये

ढा रहे अपने सितम ये     ढा रहे अपनें सितम ये हो गया कैसा  वतन ये   हम मिटा देगे अदूँ को जान से प्यारा वतन ये   सब मिटा देगे जहां से जुल्म को भी है लगन ये   प्यार से सीचो वतन ये कर रहा है अब चमन ये   है क़सम…

आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है

आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है

आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है     आंखों से मेरी सभी वो आज रूठे ख़्वाब है! हो गये है जिंदगी से दूर सारे ख़्वाब है   टूट जाते है मंजिल पे ही पहुचने से पहले प्यार के ही  कब पूरे ए दोस्त होते ख़्वाब है   कब न जाने होगे सच…