ढ़ल रही धूप है सूरज की देखिए
ढ़ल रही धूप है सूरज की देखिए

ढ़ल रही धूप है सूरज की देखिए

 

 

ढ़ल रही धूप है  सूरज की देखिए!

 है उछल कूद ये  आदमी देखिए

 

भा गयी है आंखों को सूरज की लाली

ख़ूबसूरत बड़ी दिलकशी देखिए

 

 रास्ते मंजिलों के  दिखाने को ही

राहों में फ़ैली है रोशनी देखिए

 

जीतेंगे जंग रख हौसला दुश्मन से

मुश्किलों से राहें ही भरी देखिए

 

चलना आज़म जरा तू संभल कर मगर

रास्ते है सभी अजनबी देखिए

 

 

✏

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

यह भी पढ़ें : 

है यकीं ये हम मिलेगे एक दिन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here