दर्द-ए-इश्क़ | Dard-e-Ishq
दर्द-ए-इश्क़ ( Dard-e-Ishq ) कोई मेरा अपना बेगाना हो गया, पल में मेरा प्यार फसाना हो गया, करता था मैं भी मोहब्बत की बातें अब उन बातों को जमाना हो गया! तुमसे दूर रहना कातिलाना हो गया, गुम हुए होश दिल दीवाना हो गया। हँसा देता हूँ लोगों को एक पल में, मुझे मुस्कुराए…