Dard-e-Ishq
Dard-e-Ishq

दर्द-ए-इश्क़

( Dard-e-Ishq ) 

 

कोई मेरा अपना बेगाना हो गया,
पल में मेरा प्यार फसाना हो गया,

करता था मैं भी मोहब्बत की बातें
अब उन बातों को जमाना हो गया!

तुमसे दूर रहना कातिलाना हो गया,
गुम हुए होश दिल दीवाना हो गया।

हँसा देता हूँ लोगों को एक पल में,
मुझे मुस्कुराए हुए जमाना हो गया।

शिकवा नहीं फिर भी किसी से,
खुशी देकर दर्द कमाना हो गया।

किया जिसे प्यार जान से ज़्यादा,
वही प्यार आज फ़साना हो गया।

लेटा हूँ आलीशान गद्दे पे लेकिन,
काँटों की सेज पे सुस्ताना हो गया!

कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’

सूरत ( गुजरात )

#sumitkikalamse
#sumitmandhana
#sumitgaurav

यह भी पढ़ें :-

एक तरफा प्रेम कहानी | Ek Tarfa Prem Kahani

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here