किया फिर घात दुश्मन ने बढाकर हाथ यारी का
किया फिर घात दुश्मन ने बढाकर हाथ यारी का किया फिर घात दुश्मन ने बढाकर हाथयारी का। मिटा के उसकी हस्ती को सबक़ देंगे मक्कारी का।। यूं सरहद लांघ कर उसने खुद शोलों को हवा दी है। ज़माने भर में है चर्चा जवानों की दिलेरी का।। पड़ोसी जान कर हमने उसे हर…