ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब
ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब

ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब

 

 

ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब

रह गये है ग़मों के दिन तक़दीर में

 

मांगता हूँ ख़ुदा से दुआ रोज़ जो

फ़िर भी होती नहीं है दुआ वो क़बूल

 

ढूंढ़ता हूँ चेहरा शहर में वो मैं तो

दें हमेशा वफ़ा जो मुझे हर क़दम

 

हूँ ख़ुदा जिंदगी में तन्हा शहर में

आशना कोई तो भेज दें जीस्त में

 

माना तेरी नजर में नहीं प्यार हूँ

ग़ैर कैसे कहूँ मैं भला फ़िर तुझको

 

देखता है राहें आज़म जिसकी बहुत

वो नहीं आया है लौटकर गांव में

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

 

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