चलना सीखे नही | Chalna Sikhe Nahi
चलना सीखे नही
( Chalna sikhe nahi )
चलना सीखे नही ,और दौड़ने निकल पड़े
संभलने के प्रयास मे,लड़खड़ाकर गिर पड़े
होती अगर जिंदगी ,यूं ही आसान इतनी
तो सोचिए, कामयाबी के पैर क्यों छाले पड़े
गुजर जाती है एक उम्र पूरी,चढ़ाई मे
चाहते हो ,घर से निकलते ही हों झंडे खड़े
माना की हौसले हैं,किंतु कदर नही दिल मे
अकड़ मे ही टूट गए हैं,दरख़्त बड़े बड़े
मानना,मांगना,झुकना, संयम भी जरूरी
हक दिए नही,और हक के लिए लड़ पड़े
सीढ़ी दर सीढ़ी,कदम दर कदम ही आगे बढ़ें
खुद को उठाने मे ,कंधा और का न दबाना पड़े
( मुंबई )