
वर्ग विशेष
( Varg vishesh )
मानते हो यदि कोई स्वयं को साहित्यकार
तो उसे खुलकर भी विरोध मे लिखना होगा
लुट रहीं बहन बेटियां ,सरेआम कत्ल हो रहे
बढ़ रहे दंगे फसाद , आतंकी मस्त हो रहे
चोले बदलकर जिहादी ,कर रहे नाच नंगा
संभाल रहे अभी आप,तहजीबी जमुना गंगा
आए बन शरणार्थी,तानाशाही हैं कर रहे
स्वयं का ही लक्ष्य लिए,जिहाद फैला रहे
कलम ही कर सकती ,सटीक व्याख्या इनकी
सत्य उजागर हो,परिभाषा यही साहित्य की
रखना नही भले द्वेष, उस समुदाय खास से
किंतु,रहना तो सजग हमे, उस वर्ग विशेष से
( मुंबई )