छठ पूजा के गीतों की मधुरिमा
छठ पूजा के गीतों की मधुरिमा से यूट्यूब चैनल भक्तिमय हो गया है, नये और पुराने गायक/गायिकाएं वातावरण को रस से भर दिए हैं। क्या गांव क्या शहर सभी ओर गीत ही गीत गूंज रहे हैं।
शारदा सिन्हा जी को तो भुलाया ही नहीं जा सकता तो भरत शर्मा को बिना सुने रहा भी नहीं जा सकता। कितने का नाम गिनाया जाए, सच कहा जाए तो कोई किसी से कम नहीं है।
कम इसलिए नहीं कि कोय बड़ छोट कहत अपराधू। हृदय में भाव जो भरा है।जहां सुष्मिता पारंपरिक गीतों के कलेक्शन को लेकर आई है, तो वहां किरण कुमारी नये गीतों को संजोकर साथ लाई है।
राग में आकर्षित करने की अपनी शक्ति है। लगता है घर से लेकर घाट तक छठी मां का प्रभाव ही प्रभाव कायम है। घर से लेकर घाट तक की साफ सफाई जोर पर है, सबकी अपनी-अपनी तैयारी अपने तरीके की चल रही है।
छठ ही एक मात्र ऐसा व्रत है जिसे लोग भीख भी मांग कर करते हैं और लोग श्रद्धा से देते भी हैं रूपए से लेकर फल, फूल और कपड़े तक।व्यवसायी भी खुले हृदय से इस व्रत में साथ देते हुए नजर आते हैं।
किरण कुमारी का प्रथम गीत “कोंखिया के जाला ना दरदिया” तो द्वितीय गीत “छठी मइया के नामे बहंगिया ” है। कोंखिया के जाला ना दरदिया गीत में बांझिन नारी के असह्य दर्द की अभिव्यक्ति है। शांत चित्त से सुनने पर यही मुखरित होता कि नारी संतान के लिए कितना पीर झेलती है।
कि छठी मां की असीम कृपा से वंश वृद्धि हो। द्वितीय गीत में भी संवेदना का स्वर उभरा हुआ है। कहने की बात ही कहां है स्वर तो सुकोमल है ही किरण का।
किरण कुमारी बी. एस. सी. है, जो विभिन्न गीतों को मधुर स्वर दे रही है और वह औरंगाबाद जिले से आती है। बेटियां बेटों से आगे प्रगति की ओर जाती नजर आ रही है। धन्य है बेटी।

विद्या शंकर विद्यार्थी
रामगढ़, झारखण्ड