चुनाव
चुनाव
सही व्यक्ति को – – – – – –
ज्यों ज्यों चुनाव आ रहे हैं।
नेताजी लाड़ जता रहे हैं।
जातिवाद की दुहाई दे रहे ।
खुद चरित्र की सफाई दे रहे ।
वाणी में मधु घुल गया है।
ओठों पै गुलाब खिल गया है।
दुखती रगें पहचानते हैं।
कैसे संतुष्ट करें जानते हैं ?
मर्यादाऐं तोड़ रहे हैं।
नेतिकताऐं छोड़ रहे हैं।
सेक रहे हैं अपनी रोटी ।
नोंच रहे जनता की बोटी ।
राजनीति की बदली भाषा ।
लोकतंत्र बन गया तमाशा ।
वोटर भी अब समझदार है।
बहुत घाघ व होशियार है।
सौदेबाजी कर लेता है।
फिर भी वोट नहीं देता है।
मक्कारों को देना चोट ।
सही व्यक्ति को देना वोट ॥

राम अवतार शर्मा
बाड़ी (धौलपुर ) राजस्थान ।
यह भी पढ़ें:-