
बड़े भैया
( Bade Bhaiya )
लिख देती हूं हर रोज एक पैगाम ,
मन के जुड़े तार से,
पढ़ लेता है वो मन की बात,
और संभाल लेता बड़े प्यार से,
कहने को तो बहुत दूर है मुझसे,
लेकिन करीब लगता ज्यादा सांसों से,
मैंने कभी जो सोचा नहीं सपनों में,
बड़े भैया ने वो सब दिया हकीकत में,
बड़े भैया मेरे लिए परिवार है,
आज बस बड़े भैया से ही मेरी ये पहचान है।
आर.वी.टीना
बीकानेर राजस्थान से