कोरोना पर दोहे | Corona par dohe
कोरोना पर दोहे
( Corona par dohe )
समय चक्र का खेल नया,
कोरोना की चाल।
अर्थव्यवस्था चौपट हुई,
जनजीवन बदहाल ।
सारे घर में बंद हुए,
लक्ष्मण रेखा भीतर ।
सामाजिक दूरियां ही,
कोरोना का उत्तर।।
लॉक डाउन का पालन,
सारे मिलकर करें।
जान सबको प्यारी है,
सभी मिल परवाह करें ।।
तूफान बना जगत में,
कोरोना का कहर।
कोई अछूता ना रहा,
गांव हो चाहे शहर।।
कोरोना का दौर है,
विकट समय की मार।
करे नियमों का पालन,
कोरोना की हार।।
यह काल कोरोना है,
अब सतर्क होना है ।
जीवन की लड़ाई में,
एक जोश होना है ।।
दुनिया पे कहर ढाया,
दुख की घड़ी छाई।
विचलित हुई यह दुनिया,
महामारी आई।।
गिरी गाज गरीबों पर,
संबल सबको देना।
रखो दो गज की दूरी,
हो मदद कर देना ।।
घर पर रहना एकमात्र,
अनुपम उपहार है ।
खतरे के बादल घने,
संकट का प्रहार है।।
प्रशासन सचेत हो,
जागरूक जनता।
कोरोना का वहां पर,
प्रभाव नहीं बनता।।
गंगाजल से तन पावन,
पाप धुल जाता है।
नित्य करें योग साधना,
रोगमुक्त पाता है।।
सारी दुनिया दहल गई,
देख मौत का खेल।
मोटर गाड़ी बंद हुई,
पटरी से फिर रेल।।
कोरोना ने बदल दी,
दुनिया की तकदीर।
लक्ष्मण रेखा लांघी तो,
पड़े भुगतनी पीर ।।
जीवन यह अनमोल है,
सावधान श्रीमान।
दो गज की दूरी रखो,
और बचा लो जान।।
रणभूमि रणवीर लड़े,
वीरता से संग्राम।
कोरोना से लड़ रहे,
कर्मवीर को सलाम।।
हिम्मत हौसला जज्बा रख,
कोरोना हराना।
सबके चेहरों पर,
हमें मुस्कान लाना।।
दीप ले रोशनी जगे,
शंख बजे शहनाई।
सुरक्षित हो देश प्यारा,
हम बांटे मिठाई।।
गांव से पलायन करें,
विदा हो कोरोना।
रहे सतर्क आठों प्रहर,
धीरज नहीं खोना ।।
नित्य योग करें भरपूर,
भीड़ से रहे दूर।
सावधानी हो पूरी,
निश्चित रखना दूरी।।
मास्क बेहद जरूरी हो,
हाथ को भी धोना ।
जागरूक जन हो जाए,
चैन से फिर सोना।।
कोरोना महामारी,
एक भीषण गाज है।
जीवन सबका अनमोल,
बचाना आज है।।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )