दीदार करें कैसे | Deedar Karen Kaise
दीदार करें कैसे
( Deedar karen kaise )
दीदार करें कैसे, दिलदार बता देना
चाहत की जो रस्में हैं, हमको भी सिखा देना
कानून से बढ़कर तो, होता ही नहीं कोई
गर की है ख़ता मैंने, मुझको भी सज़ा देना
हालात बहुत बिगडे़, जीना भी हुआ मुश्किल
हैं संग बने इंसा, जीने की दुआ देना
जागीर मुहब्बत की, मिलती नहीं है सबको
लेकिन तू मुहब्बत का, उल्फ़त ही सिला देना
ढ़ाती है सितम हम पर, ये ज़िंदगी बन दुश्मन
है ज़ख्मी ज़िगर मेरा, कोई तो दवा देना
बस्ती हैं जलाते जो, जां लेते हैं जनता की
अब ऐसी सियासत को, मत और हवा देना
सच्चाई की राहों पर, चलती ही रही मीना
भटकूँ न कहीं मौला, तू राह दिखा देना
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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