दीप जलाने होंगे | Kavita
दीप जलाने होंगे
( Deep jalane honge )
दीप जलाने होंगे जोत जलानी होगी
शारदे दरबार तेरे अलख जगानी होगी
सिर पर रख दो हाथ मां भर दो भंडार मां
शब्द सुमनहार मैया कर लो स्वीकार मां
वीणा वरदायिनी मोहक सुभाषिनी
बुद्धि विधाता वाणी मां प्रज्ञादायिनी
लेखनी में भाव भर शब्द शब्द रस भर दो
आराधक शरण तेरी काव्य सरस कर दो
गीत गजल महके मां बरसाओ कृपा शारदे
साधना सफल कर माता लेखनी संवार दे
ध्यान भी तेरा माता शरण भी तेरी मां
वरदान से झोली आकर भर दो मेरी मां
छंद गीत मुक्तक सब शोभित मां दरबार में
गीतों में संगीत भर दो गाता रहूं संसार में
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )