महारानी लक्ष्मी बाई
महारानी लक्ष्मी बाई

महारानी लक्ष्मी बाई

( Maharani Laxmi Bai )

 

आजादी की चिंगारी थी बैरियों पर भारी थी
गोरों के छक्के छुड़ाए लक्ष्मी वीर नारी थी

 

तेज था तलवारों में ओज भरा हूंकारों में
रणचंडी पराक्रमी हजारों पर भारी थी

 

क्रांति काल की कहानी वो झांसी की महारानी
बिगुल बजाया रण का राष्ट्र पुजारी थी

 

रणचंडी कूद पड़ी वो मर्दानी खूब लड़ी
वीरता की अवतार शूरवीर नारी थी

 

आजादी का युद्ध चला देशभक्ति दीप जला
अश्व होकर सवार बढ़ चली रानी थी

 

अंग्रेजों भारत छोड़ो वापसी को मुंह मोड़ो
वतन परस्ती उस दीवानी ने ठानी थी

 

खूब चली तलवारें कितने रण में मारे
काल बन टूट पड़ी वीर महारानी थी

 

काली महाकाली बनी खड्ग ढाल वाली बनी
इतिहास के पन्नों में रानी की कहानी थी

?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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