कड़ी कड़ी कर जुड़ी जो
कड़ी कड़ी कर जुड़ी जो

कड़ी कड़ी कर जुड़ी जो

( Kadi kadi kar judi jo )

 

कड़ी कड़ी कर जुड़ी जो

जंजीर ,बेड़ियां हो गईं

पांव जख्मी, हाथ रिसते …

सोने का पिंजरा सा नशेमन तेरा

जज्ब हुई यूं, कि दिल छलनी हुआ

तू सय्याद, तेरा इश्क कातिल…

सौ आसमां औ’ हवा खुली  दम भरने को

अब खोल भी दो ,पंख भी दो ,

तो क्या,जब वो जज्बा नहीं तो परवाज़ कहां…

?

 

Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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