देख रहा हूँ मैं हंसी यारों नज़ारें गांव में | Ghazal
देख रहा हूँ मैं हंसी यारों नज़ारें गांव में
( Dekh raha hun main hansi nazare gaon mein )
देख रहा हूँ मैं हंसी यारों नज़ारें गांव में
आ रही देखो गुलों की वो बहारें गांव में
चाहता हूँ एक कोई तो बने साथी मेरा
जो हंसी मुखड़े की देखी है कतारें गांव में
नफ़रतों की बारिशें हो चाहे कितनी भी भला
की न टूटेंगे मुहब्बत के किनारें गांव में
दिल नहीं लगता नगर में जाकर मेरा अब मगर
ए सनम मैं जब से आया हूँ तुम्हारे गांव में
आम की आयी बहारें गीत गाये है कोयल
दोस्त कुछ दिन और अब आओ गुजारें गांव में
पर कहीं भी वो नज़र आये नहीं मेरा सनम
रोज़ आज़म दर गली उसको पुकारें गांव में
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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