
गमों की मगर वो दवा चाहिये
( Gamon ki magar wo dawa chahiye )
गमों की मगर वो दवा चाहिये
यहां कोई ऐसा दुआ चाहिये
बहुत सह लिये ज़ीस्त में ग़म मगर
ख़ुशी ज़ीस्त में अब ख़ुदा चाहिये
मिली है मुझे राह में जो कल थी
ख़ुदा वो हंसी अब सदा चाहिये
मिली है वफ़ा की ख़ुदा दोस्ती
न वो ज़िंदगी से जुदा चाहिये
कभी भी न हो दोस्ती में दगा
वफ़ा में हमेशा वफ़ा चाहिये
रहे उम्रभर साथ तेरा सनम
न कोई भी तेरे सिवा चाहिये
सनम प्यार की बात कर आज़म से
नहीं और देखो गिला चाहिये