देख रहे सब चीरहरण
देख रहे सब चीरहरण
बैठे धृष्टराज की अंधी सभा में
देख रहे सब चीरहरण ,
कुछ लगाते ठहाका ,
द्रोणाचार्य ,विदुर ज्ञानी हैं बैठे मौन ,
बोल न पाता है कोई न्याय वहां?
दुष्शासन के दुस्साहस को दे रहे ताल वहां,
द्रोपदी भरी सभा में मांग रही
इज्जत की भीख वहां?
सुन द्रोपति की पुकार
बचाए कृष्ण आकर लाज वहां?
अब बलरामपुर, हाथरस की बेटी
खोज रही है यहां कृष्ण कहां?
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ ,देते जो नारा
खोज रही हैं बेटियां अब वो सांसद कहां?
मंदिर,मस्जिद पर लड़ने वालों
सीता , मरियम की अब लाज कहां?
आपस में मर मिटने वालों
भारत मां की अब लाज कहां?
मां भारती इज्जत की भीख मांग रही
अब संसद बीच सभा में
भारत की सिंहासन से पूछ रही है जनता
मां भारती की अब लाज कहां?
अब बलरामपुर, हाथरस की बेटी
है खोज रही यहां कृष्ण कहां?
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218