![uska mukadar उसका मुकद्दर यू रूठ गया](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2020/09/uska-mukadar-696x387.jpg)
उसका मुकद्दर यू रूठ गया
1.
उसका मुकद्दर यू रूठ गया ,
बकरा कसाई हाथ लग गया।
2.
वो दिल में आ बत्तियां बुझा
नभाक कर गया,
कोई जुगनू पकड़ दामन
फिर उजाला कर गया।
3.
तुम अच्छे हो अच्छे रहो,
हम बुरे हैं बुरे ही सही,
देख लेते जो अच्छी नजर से
बुरे हम भी नहीं।
4.
कहते हो जीरो हमें कोई मलाल नहीं
तुम्हें मिला जो ताज दहाई का
इकाई को दहाई बनने में
जीरो का ही हाथ है।
5.
क्या क्या नहीं किए
उसकी नजरों में उठने के लिए,
कितनी कितनी बार गिरे
अपनों की नजरों में।
6.
उसके शब्दों के तीर चले हैं ऐसे
दिल में एक घाव गंभीर है,
दर्द में आंखें गमगीन है,
मन व्यथित, रो रहा गगन है
गिरे जो आंसू सहमी धरती है
है उम्मीद की आंसुओं से
सिंचित पुष्प खिलेंगे,
खुशबू मिल हवाओं में
गगन तक जाएगी,
हर्ष उल्लास कायनात में
फिर आएंगी।
7.
जिन आशियानों में है उजाला
वो समझते है जुगनू को कहां?
जो समझते हैं जुगनू को
उन आशियानों में अंधेरा कहां?
8.
बड़े महफूज जिंदगी है वो
जो समझते मां-बाप के
कदमों को जन्नत,
कम अक्ल है वो
जो बहाए इक अश्क इनके।
9.
सम्मुख शिकायत करें तो हिदायत है,
पीठ पीछे करें तो सियासत है।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218