देखा है जब से तुम्हें

देखा है जब से तुम्हें | Poem dekha hai jab se

देखा है जब से तुम्हें

( Dekha hai jab se tumhe ) 

 

देखा है जब से तुम्हें दिल में ख़ुशी है बहुत
ये आजकल धड़कनों में बेकली है बहुत

 

मैं सच कहूं भूल पाया ही नहीं हूँ तुझको
तुझसे मुझे आज भी ये आशिक़ी है बहुत

 

जो कल तलक था मेरा दुश्मन यहाँ देखलो
हम दोनों के दरमियां अब दोस्ती है बहुत

 

जब से गये दूर मुझसे यार मेरे मगर
हर रोज़ बस याद आती आपकी है बहुत

 

वो क्या पढ़ेगे लिखेगे हाँ बच्चें ही मगर
इस गांव में देखिए सब मुफ़लिसी है बहुत

कुछ तो बता क्या हुआ है साथ में तेरे ही
किसके लिए ये निगाहें रो रही है बहुत

 

कब प्यार के फूल मुझपे बरसे है हाँ मगर
नाशाद मेरी हर पल ये जिंदगी है बहुत

 

कुछ चाहकर भी नहीं होता आज़म जीस्त में
अब हर घड़ी दिल में मेरे बेबसी है बहुत

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

यह भी पढ़ें : 

खो गया कहीं | Ghazal kho gaya kahin

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *