राह ए मंजिल से तुम लौट आना नहीं
राह ए मंजिल से तुम लौट आना नहीं

राह ए मंजिल से तुम लौट आना नहीं

 

राह ए मंजिल से तुम लौट आना नहीं।
मुश्किलें देख कर सर झुकाना नहीं।।

 

कामयाबी मिले जो ना फिर भी कभी।
अश्क कोई कभी तुम बहाना नहीं।।

 

कुछ असंभव नहीं है जहां में यहां।
याद रखना कभी भूल जाना नहीं।।

 

बाजुओं का भरोसा ना खोना कभी।
हौंसला तुम कभी भी गँवाना नहीं।।

 

मांगना मत सहारा किसी से कभी।
आएगा साथ तेरे ज़माना नहीं।।

 

अब बहाने ना कर ठान कर देख ले।
ताकतें तू इरादों की जाना नहीं।।

 

जब तलक मिल ना जाये तुझे मंजिले।
और हरग़िज कहीं दिल लगाना नहीं।।

 

है सभी आज मजबूरियां में”कुमार “।
यार अपना कभी आजमाना नहीं।।

 

?

लेखक: * मुनीश कुमार “कुमार “

हिंदी लैक्चरर
रा.वरि.मा. विद्यालय, ढाठरथ

जींद (हरियाणा)

यह भी पढ़ें : 

नहीं कोई अपना यहां | Ghazal nahin koi apna yahaan

 

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here